चुप की ज़ुबान से

अपने जज़्बातों के सफ़र में,

ख़ुद-शिनासी को पहचाना मैंने। (self-awareness)
चुप की ज़ुबान से लिखीं थीं कहानियाँ,
जिन्हें ख़ुद भी ना कभी सुना था मैंने।

अब ख़ुद से वफ़ा करने की बारी है,
अब ख़ुद को सुनना सीखना है।
अबके दिल से एहद किया है(promise)
हर जद्दोज़हद को समझूंगी, (struggle)
बग़ैर शर्मिंदगी के,
ना दबाऊँगी, ना झुठलाऊँगी।

अब ख़ुद से वफ़ा करने की बारी है,
अब तो मैं ख़ुद के साथ हूँ
मुकम्मल, सच्ची, मुकम्मल। (whole, true, complete)
अब ख़ुद से शुरुआत करूंगी,
प्यार से, सब्र से, सच्चाई से,
और जो भी टूटा है अंदर कहीं,
उसे आहिस्ता-आहिस्ता जोड़ लूंगी।

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